चमत्कारों के रहस्य!
वैज्ञानिक सोच का अभाव
1.मान्यता द्वारा निरिक्षण पर प्रभाव:
यदि आप किसी सिद्धांत को मानते है तब वह सिद्धांत आपके निरीक्षण को प्रभावित करता है। आप परिणामो को अपने सिद्धांत के अनुसार परिभाषित करते है। कोलंबस भारत को खोजने के लिए अमरीका पहुंच गया था, उसकी मान्यता थी कि यदि वह युरोप के पश्चिम दिशा से यात्रा करेगा तो वह भारत पहुंच जायेगा। जब वह अमरीका पंहुचा, तब उसकी मान्यता के कारण तांबे रंग के मूल अमरीकी निवासीयों को वह भारतीय मान बैठा। यही नही उसे अमरीका मे भारतीय मसाले और जड़ी बुटीयां दिख रही थी। कोलंबस अपनी निरिक्षणों को अपनी मान्यता के बाहर देख ही नही पा रहा था।
2. निरीक्षक द्वारा निरीक्षीत मे परिवर्तन:
3.उपकरण परिणाम का निर्माण करते है:
4.श्रुति!= विज्ञान:–
हम लोगो से जो किस्से कहानियाँ सुनते है, वह विज्ञान नही होता है। छद्म विज्ञानी श्रुति को मानते है जबकि विज्ञान प्रामाणिक अध्ययन को मानता है।
छद्मवैज्ञानिक सोच की समस्यायें
5.वैज्ञानिक भाषा का प्रयोग उसे वैज्ञानिक नहीं बनाती है:
6. निर्भिक कथन उसे सत्य प्रमाणित नही करता है:
7.विद्रोही/क्रांतीकारी मत का अर्थ सत्य नही होता है:–
8.प्रमाणित करने की जिम्मेदारी:
9. अफवाहे सत्य नही होती है:
10. अस्पष्ट का अर्थ रहस्यमय नही होता:
11. असफलता की तर्कसंगत व्याख्या :
12.अंधविश्वास :
13. संयोग/संभावना:
तार्किक सोच में समस्याएं
14.प्रतिनिधी घटनायें :
15.भावनात्मक शब्द और गलत उपमायें :
16.अनभिज्ञता का आकर्षण :
17. व्यक्तिगत आक्षेप :
18.अति साधारणीकरण:
19. व्यक्ति की छवि पर अति निर्भरता:
20: या तो वह नही तो यह:
21. चक्रिय तर्क :
क्या भगवान का आस्तित्व है ?
हां।
तुम्हे कैसे मालूम ?
मेरे धर्मग्रंथ मे लिखा है।
तुम कैसे कह सकते हो कि तुम्हारा धर्मग्रंथ सही है ?
क्योंकि उसे भगवान ने लिखा है।
गुरुत्वाकर्षण क्या है ?
पदार्थ द्वारा दूसरे पदार्थ को आकर्षित करने की प्रवृत्ति।
पदार्थ एक दूसरे को आकर्षित कैसे करते है ?
गुरुत्वाकर्षण से।
राम कहां रहता है ?
श्याम के घर के सामने।
श्याम कहां रहता है?
राम के घर के सामने ?
22. किसी तथ्य का सहारा लेकर असंगत सिद्धांत हो सिद्ध करना:
सोचने में मनोवैज्ञानिक समस्याएं
23.प्रयास मे कमी तथा निश्चितता, नियंत्रण और सरलता की आवश्यकता:
24. समस्या के हल मे प्रयास की कमी:
25.वैचारिक स्वाधीनता :
माइकल शेर्मर की बेहतरीन पुस्तक “Why People Believe Weird Things” पढने के बाद उपजी पोस्ट।
आत्मा के साथ बातें
1941 में जाफना के जिला न्यायाधीश ने अपनी मृतका पत्नी के साथ अपने घरेलू और व्यक्तिगत मुआमलों के बारे में काफी लम्बी बातचीत करने के बाद कीमती जानकारी हासिल की थी! इन जज का नाम साइमन राडरिगो था और यह पानादुरा के रहने वाले थे! जिस व्यक्ति के माध्यम से उन्होंने अपनी मृत पत्नी के साथ बातचीत की उसका नाम मिस्टर एक्स था और वह मैनीपे का रहने वाला था!
मिस्टर राडरिगो को अपनी प्यारी पत्नी की म्रत्यु के बाद उसकी याद निरंतर सता रही थी! इस कारण वह उसी दिन से आत्मा सम्बंधित पुस्तकों में रूचि लेने लगा था! इस बात में कोई संदेह नहीं था कि जाफना पब्लिक लाइब्रेरी की सारी पुस्तकें या तो मिस्टर राडरिगो के घर की मेज पर या फिर जिला न्यायलय के कमरे में मिलती थीं, लाइब्रेरी की अलमारियों में नहीं! इसलिए किताबों की तलाश के कारण ही इनका मेरे साथ मेल–मिलाप स्थापित हुआ क्योंकि मेरी प्राइवेट लाइब्रेरी में भी इसी विषय पर बहुत सी पुस्तकें थी! ‘म्रत्यु पश्चात् जीवन‘, इसी विषय पर हम दोनों घंटों बहस करते रहते थे!
उपरोक्त विषय के सम्बन्ध में मिस्टर राडरिगो की जानकारी इतनी विशाल और गहरी थी कि वह आत्म ज्ञान विषय पर अलग अलग लेखकों द्वारा लिखी बातों का किसी भी समय हवाला दे सकते थे! वह बाइबिल की 66 पुस्तकों में से किसी भी पाठ और वाक्य का हवाला दे सकते थे! भले ही जन्म से ही वह बुद्ध धर्म को मानने वाले थे, परन्तु आत्मा के अस्तित्व के बारे में बौद्धों की पुस्तकों को मानने की बजाय वह ईसाई लेखकों की आत्म ज्ञान के बारे में लिखी पुस्तकों पर अधिक विश्वास करते थे!
5 नवम्बर 1941 को मिस्टर राडरिगो मेरे घर आये! वह बहुत प्रसन्न थे! वह ऊँची आवाज में बोले, “अब्राहम! आखिर मैं अपनी मृत पत्नी के साथ बातचीत करने में सफल हो गया हूँ! उसने मेरे साथ एक घंटा बातचीत जी और उसने बहुत सी बातों के बारे में बताया, जिनको वह अपनी म्रत्यु से पहले मुझे बताना भूल गयी थी! आगामी रविवार को फिर मैं अपनी पत्नी के साथ बात करूँगा! तब मैं उससे और भी बहुत कुछ पूछूँगा जो मैं जानना चाहता हूँ!” यह शब्द उसने मुश्किल से कहे क्योंकि वह भावुक हो गए थे! उनके आंसू उनके गालों को भिगो रहे थे! वह कुछ देर चुप रहे! फिर उन्होंने एक प्याला गर्म काफी का पिया और कुछ साहस का अनुभव करते हुए अपनी बात को चालू रखा! उन्होंने बताया कि कैसे वह मैनीपे के मिस्टर एक्स से मिले, जिसके पास प्रेतों से बात करवाने की शक्ति थी, और कैसे उन्होंने उसके माध्यम से अपनी मृत पत्नी की आत्मा से बातें की! उनकी आगामी मुलाकात पर मैंने उनके साथ होने की इच्छा प्रकट की! परन्तु मिस्टरराडरिगो ने कहा कि वह अकेले ही अपनी पत्नी से कुछ गोपनीय बातों के बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं!
मैंने मिस्टर एक्स को पत्र द्वारा प्रार्थना की कि वह मुझसे मिलें!22 नवम्बर 1941 को वह मेरे पास आया! जैसे ही मैं उसका स्वागत करने के लिए आगे बढ़ा, मिस्टर एक्स ने कहा, “मुझे काफी दूर से आपके सर के चारों ओर एक प्रकाश चक्र नजर आया है! मुझे मिस्टर राडरिगो ने बताया की आप आध्यात्मवाद के अच्छे विद्यार्थी हो और आपकी नक्षत्रों में बहुत दिलचस्पी है, क्या यह ठीक है?” मैं चुप ही रहा और मिस्टर एक्स को अपनी बात कहने दी! उसकी बात ने मुझे उसके बारे में एक धारणा बनाने योग्य बना दिया!
मिस्टर एक्स
मिस्टर एक्स एक अच्छे घराने का सदस्य था, जिसे उसके धार्मिक माता–पिता ने ईसाई माहौल में पाला पोसा था! उसने जाफना के क्रिस्चियन स्कूल से विद्या प्राप्त की और वहां ही उसपर यूरोपीय ईसाइयों का प्रभाव पड़ा! अच्छा पढ़ा लिखा और अमीर होने के कारण वह एक सम्मानीय व्यक्ति था! उसे अपनी आजीविका चलाने के लिए ऐसे पाखंड करने की कोई जरुरत नहीं थी! वह पवित्र स्वाभाव का था! जब वह नवयुवक था, उसकी इच्छा ईसाई पादरी बनने की थी, परन्तु जब उसके एक बड़े भाई ने यह काम करना शुरू कर दिया तब उसने यह विचार त्याग दिया!
उसे अपनी पहली पत्नी से बहुत ज्यादा प्यार था, जो कि 1926 में एक लड़की को जन्म देनें के पश्चात् मर गयी थी! भले ही उसने दूसरी शादी कर ली थी, मगर उसकी पहली पत्नी की याद सदा उसके मन में रही! मिस्टर राडरिगो की तरह ही वह भी अपनी पत्नी की मृत्यु के बाद‘आत्म–ज्ञान‘ में काफी रूचि लेने लग गया था! वह लन्दन की आध्यात्मिक अनुसन्धान की एक संस्था का सदस्य बन गया और उस संस्था की पत्रिका लगातार पढ़ने लग गया! उसके पास अपने ससुर और पत्नी की तस्वीरें थीं, जो की उनकी म्रत्यु के कई वर्ष बाद ली गयीं थीं! यह तस्वीरें इंग्लैंड के ‘आत्माओं की फोटो लेनें वाले‘ किसी फोटोग्राफर ने ली थीं! भले ही उन तस्वीरों की असलियत पर उसे संदेह था, फिर भी वह उनको अपनी अलमारी में रखता था, ताकि समय पर दूसरों को दिखाई जा सकें! उसके अनुसार वह तस्वीरें सम्बंधित व्यक्तियों से नहीं मिलती थीं!
1934 में पहली बार उसका अपनी मृत पत्नी से संपर्क स्थापित हुआ! उसके बाद कई बार उसका उसकी पत्नी के साथ संपर्क हुआ! उसने जो सन्देश अपनी पत्नी से प्राप्त किये उनमें से बहुत से गलत थे और कुछ ठीक थे! उसकी पहली लड़की की शादी उसकी मृत पत्नी से पूछने के पाश्चत ही की गयी! उसके कहने के अनुसार उसमें इतनी शक्ति पैदा हो गयी थी कि वह अपनी मृत पत्नी के साथ किसी भी समय, किसी भी स्थान पर संपर्क स्थापित कर सकता था!
आत्मा से संपर्क
उसकी इस अवस्था को देखने के लिए मैंने उससे प्रार्थना की कि वह अपनी पत्नी की आत्मा के साथ संपर्क स्थापित करे! उसने इस उद्देश्य के लिए एकांत स्थान की मांग की! मैंने उसे लाइब्रेरी में भेज दिया और उसके बैठने के लिए कुर्सी दे दी! उसके आग्रह पर सभी खिड़कियाँ बंद कर दी गयीं! कुछ मिनट के लिए सामने वाली दीवार पर लगातार देखने के बाद उसने अपनी समाधी भंग की और कहा, “अब मैं अपनी पत्नी को साफ़ देख सकता हूँ वह सामने उस स्थान पर कड़ी है और मेरी और देख रही है!” वह दीवार पर लगे बड़े चित्रों की और संकेत कर रहा था! इनमें से एक चित्र मेरे पिता का भी था! “क्या आप दीवार पर लटक रही तस्वीर को देख सकते हो?” मैंने पूछा! “वहां कोई दीवार नहीं है! मैं तो अपनी पत्नी को नीले आकाश में, बादलों के बीच खड़ी हुई देख रहा हूँ!” उसने उत्तर दिया! मैं दीवार के पास गया और अपने पिता की तस्वीर को हाथ लगाकर उससे पूछा, “क्या यह आपकी पत्नी है?” वह बोला, “हाँ, यह वही है! इसे हाथ लगाने की कोशिश मत करो नहीं तो यह अवश्य ही गायब हो जाएगी!” फिर उसने मुझे बताया कि उसकी आत्मा किसी भी प्रश्न का उत्तर देने के लिए तैयार है! मैंने जो बहुत से प्रश्न पूछे उसका उत्तर उसने स्वयं दिया परन्तु यह प्रकट किया कि यह उत्तर उसकी पत्नी की आत्मा दे रही है!
आत्मा की आवाज़
“ईसाई एक सच्चा धर्म है! पुनर्जन्म और अवतार लेना कुछ भी नहीं होता! आत्माओं को पृथ्वी पर जन्म लेने से पहले की जिंदगी के बारे में कोई ज्ञान नहीं होता! आत्माओं की दुनिया में भी भोजन और मदिरा होता है! आत्माएं भी नेताओं के नेतृत्व में छोटे छोटे समूहों में रहती हैं! नाशवान व्यक्तियों से बात करने के लिए आत्माओं को भी अपने नेताओं से आज्ञा लेनी पड़ती है! आत्माओं में भी काम वासना होती है! मेरी पत्नी चाहती है कि मेरी मृत्यु के बाद हम फिर पति पत्नी जैसी जिंदगी जीते रहें! आत्माएं सफ़ेद, ढीले और उड़ने वाले कपड़े पहनती हैं! घटिया जानवरों की कोई आत्मा नहीं होती! दूसरे नक्षत्रों पर भी मनुष्य रहते हैं! आत्माएं उन शरीरों में ही रहती हैं जिनमें वह मृत्यु के पहले रहती थीं! आत्माओं के संसार के पश्चात् वह जिंदगी के ऊंचे स्तर पर चली जाती हैं और अंत में वह परमात्मा की दुनिया में पहुँच जाती हैं! रूहों की दुनिया में भी व्हिस्की और सोडा होता है! सभी रूहें अंग्रेजी भाषा बोलती हैं!“
मैं और मिस्टर एक्स लाइब्रेरी के कमरे से बाहर आ गए और दुसरे कमरे में आकर भी बातचीत करते रहे! मैंने उससे रूहों से बात करने से पहले, उस समय और उसके बाद के अनुभवों के बारे में पूछा तो उसने बताया की जिस समय वह विचारों में लीं होने लगता है तो उसे पहले कुछ प्रकाश और आकार दिखाई देते हैं! उसकी पत्नी के लिए यह जरुरी नहीं की वह प्रकट होकर बातें करे! उसने अपनी पत्नी के सिवाय और आत्माओं से भी बातें की हैं! रूहों से बात करने के पश्चात् उसे थकान और प्यास का अनुभव होता है और उसे नींद आती है!
मानसिक रोगी
मिस्टर एक्स जैसे रोगियों की ऐसी अजीब बातों का वर्णन आज के युग में मनोविज्ञान द्वारा किया जा सकता है! ऐसे व्यक्तियों के व्यक्तिगत अनुभवों में किसी प्रकार की कोई सच्चाई नहीं होती! मिस्टर एक्स और मिस्टर राडरिगो दोनों ही अपनी मृत पत्नियों के वियोग के कारण अर्धपागल पागल थे! आत्माओं के बारे में लगातार पढ़ते रहने के कारण उनका विश्वास आत्माओं के प्रकट होने में पक्का हो गया था! वह यह समझने लगे कि आत्माओं के साथ बातचीत करनी संभव है!
चाहे वो और सभी पक्षों से सामान्य व्यक्तियों जैसे ही थे, परन्तु दोनों ही आत्माओं की गिरफ्त में होने के कारण अर्धपागल थे! दोनों ही आत्माओं के दीवाने हो गए थे! दीवानेपन के कारण कई मनुष्यों में दिमागी विकार उत्पन्न हो जाने संभव होते हैं! अनेक प्रकार के डर और भ्रम इसी प्रकार से पैदा होते हैं! मिस्टर एक्स इस प्रकार के भ्रम का बुरी तरह शिकार था!यह इस बात से प्रमाणित होता है कि वह अजीब प्रकाश और आकार देखता था और मेरे जैसे साधारण व्यक्ति के सर के चारों ओर उसे प्रकाश चक्र दिखाई पड़ते थे! उसके ऐसे भ्रम के कारण ही उसको मेरे पिताजी की तस्वीर में अपनी पत्नी दिखाई देने लगी! उसको न तो दीवार दिखाई देती थी और न ही तस्वीर! उसका भ्रम इतना शक्तिशाली था कि दीवार भी उसके लिए नीले आकाश में बदल गयी थी और पिताजी की तस्वीर के स्थान पर उसे अपनी मृत पत्नी दिखाई देने लगी!
विश्लेषण
जो कुछ मिस्टर एक्स कहता था कि उसकी पत्नी की आत्मा बता रही है, यह उसके ईसाई धर्म में श्रृद्धा रखने के कारण सिर्फ अपने विचार ही थे! आत्माओं की दुनिया में मदिरा और भोजन के बारे में उसके विचार ईसा मसीह की बाइबिल वाले ही थे! अगर आत्माएं भी खाती पीती हैं तो हमें यह निष्कर्ष निकलना चाहिए कि वह भी नाशवान हैं! क्योंकि व्हिस्की और सोडा रूहों की दुनिया में भी मिलता है, इसलिए शराब के कुछ कारखाने दारों को तो अपनी मृत्यु के पश्चात् रूहों की दुनिया में भी कमाई होने का विश्वास हो सकता है!
यह बात भी बाइबिल के अनुसार ही है कि घटिया जानवरों की रूह नहीं होती! अगर मिस्टर एक्स हिन्दू होता तो उसने बक्टीरिया को भी रूह दे देनी थी! मृत्यु के पश्चात् भी पति और पत्नी की जिंदगी जीने की मिस्टर एक्स की लालसा उसके भीतर के मन की बात है! शायद वह यह सच्चाई भूल गया है कि उसकी दूसरी पत्नी की मृत्यु के बाद उसे रूहों की दुनिया में दो पत्नियों की आत्माएं मिलनी चाहिए!
मिस्टर एक्स अपने ससुर और पत्नी की रूहों की तस्वीरों के मसले में तो इंग्लॅण्ड के झूठे फोटोग्राफर द्वारा दूसरों की तरह ही ठगा गया था! फ्रेड वोर्लो और मेजर रैपलिंग रोज़ ने रूहों के फोटोग्राफरों के धोखापूर्ण ढंगों का अच्छी तरह पर्दाफाश किया है! बिछुड़ी रूहों का अपने शरीर में ही रहना मिस्टर एक्स का एक और मूर्खतापूर्ण विचार है! क्या लाशों के गलने और सड़ने के पश्चात् किन्ही और तत्वों की सहायता से दोबारा फिर वही शरीर बन जाते हैं?
(अब्राहम कोवूर की पुस्तक Begone Godmen से साभार)
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